मुजफ्फरपुर: शराबबंदी के बावजूद फलफूल रहा शराब का धंधा, प्रशासन के दावों पर उठ रहे सवाल
मुजफ्फरपुर: शराबबंदी के बावजूद फलफूल रहा शराब का धंधा, प्रशासन के दावों पर उठ रहे सवाल
मुजफ्फरपुर: बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुए सात से आठ साल हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद जिले में शराब का अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। प्रशासन द्वारा की जा रही सख्त कार्रवाई और शराब की खेपों की नियमित बरामदगी के बावजूद हर गली-मोहल्ले में शराब की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। शराब माफिया नए-नए तरीकों से अपने अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं, जिससे कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पिछले एक सप्ताह में मुजफ्फरपुर पुलिस ने तीन बड़ी शराब खेपों को जब्त किया, लेकिन इसके बावजूद जिले में शराब की उपलब्धता और बिक्री रुकने का नाम नहीं ले रही। आशंका जताई जा रही है कि जितनी मात्रा में शराब पकड़ी जा रही है, उससे कई गुना अधिक बाजार में खपाई जा रही है।
सकरा में जब्त की गई 8805.6 लीटर शराब
22 दिसंबर को सकरा थाना क्षेत्र के सबहा चौक के पास पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 चक्के वाले कंटेनर से 988 कार्टन में 8805.6 लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की। यह खेप हिमाचल प्रदेश के शराब माफिया द्वारा बिहार में खपाने के लिए भेजी गई थी। इस मामले में राजस्थान निवासी कंटेनर चालक चिमन चौधरी को गिरफ्तार किया गया।
कांटी में पकड़ी गई 5606 लीटर शराब
कांटी थाना क्षेत्र के किशुननगर ढाला के पास पुलिस ने छापेमारी कर एक कंटेनर से 5606 लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की। इसमें कुल 631 बोतलें बरामद हुईं। हालांकि, इस कार्रवाई के दौरान कंटेनर चालक और खलासी मौके से फरार हो गए। पुलिस ने बताया कि यह खेप नववर्ष के जश्न के लिए खपाई जानी थी। मामले में स्थानीय शराब माफियाओं की पहचान की जा रही है।
बेला से बरामद 8431.2 लीटर शराब, दो गिरफ्तार
बेला औद्योगिक क्षेत्र फेज-2 में पुलिस और डीआईयू की टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए राजस्थान नंबर के ट्रक से 950 कार्टन में 8431.2 लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की। शराब पंजाब में बनी थी और इसे मुजफ्फरपुर के स्थानीय बाजार में खपाने की योजना थी। इस मामले में ट्रक चालक दाउद नबी, निवासी मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल), और खलासी संजय पासवान, निवासी कुढ़नी (मुजफ्फरपुर), को गिरफ्तार किया गया।
स्थानीय माफियाओं पर शिकंजा कसने की तैयारी
बेला थानाध्यक्ष रंजना वर्मा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल्स खंगाली जा रही हैं। इसके जरिए उन माफियाओं की पहचान की जा रही है, जो इस खेप को मंगवाने और इसे खपाने में शामिल थे। इसके अलावा, जिन फैक्ट्रियों में शराब अनलोड की जानी थी, उनकी भी पहचान की जा रही है।
शराबबंदी के बावजूद जिले में शराब की बिक्री थमने का नाम नहीं ले रही है। पुलिस की सख्ती के बावजूद स्थानीय माफिया चोरी-छिपे अपने नेटवर्क को बनाए रखने में कामयाब हो रहे हैं। नए साल के जश्न के मौके पर शराब की बढ़ती मांग ने इस कारोबार को और बढ़ावा दिया है।
बिहार में शराबबंदी कानून की विफलता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। अवैध शराब के इस गोरखधंधे को जड़ से खत्म करने के लिए पुलिस और प्रशासन को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
तिरहुत लाइव मुजफ्फरपुर पूर्वी अनुमंडल ब्यूरो चीफ कुन्दन कुमार की रिपोर्ट
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